पूर्णिमा की रात
पूर्णिमा की रात
पूर्णिमा की रात खिली चाँदनी।
धरती अम्बर लगे सुहानी।
टिम टिमाते है आसमान में तारे।
कितने सुन्दर कितने प्यारे।
खल खल बहती नदी की धारा।
मौज मस्ती का मौसम प्यारा।
प्यार बिना ये लागे सूनी।
कितनी सुन्दर रात सुहानी।
पूर्णिमा रात आज सुहानी
अम्बर धरती लगे सुहानी।
प्यार बिना ये लगे अधूरी।
छत पर टहल रही है सुन्दर गोरी।
इन्तजार करती वो किसी का।
मुरझाया सा है चेहरा है उसका।
चांदनी रात का सुन्दर यौवन।
पल पल खिलता चांद का यौवन।
रात का मौसम खिली चांदनी
चांद का यौवन रात चांदनी।
भेदभाव, एक दूजे से मिटाएं।
प्रेम और सौहार्द की भावना फैलाएं,
प्रकाश पर्व सब ,मिलजुल कर मनाएं।
देव दीपावली को, सार्थक बनाएं।।