STORYMIRROR

Sangeeta Srivastava

Inspirational

3  

Sangeeta Srivastava

Inspirational

परिन्दा

परिन्दा

1 min
226

वो कुछ बेपरवाह सा 

हवा से मिलकर होता होगा 

सुदूर नभ को निहारता गर्दन उठा

उफ़क पर हौसला रखता होगा।


घरौंदे छोड़कर ज़मीं को 

चूम कोई वादा किया होगा 

नज़र रखी होगी ज़रूर आस्मां 

पर खोलने से पहले भी उड़ा होगा।


सकुशल लौटना कम सोच ही

नदियों की धार चोंच भरता होगा 

आकाश की ऊंचाई से ज़्यादा 

मुंडेर, उस घोंसले पर, मरता होगा।


परिंदो को हर उड़ान सबक 

उसे हौसला ज़िंदगी का होगा 

वो ही जीता है हर पल खुलकर

भीगते, जूझते मौसम बदलता होगा।



Rate this content
Log in

More hindi poem from Sangeeta Srivastava

Similar hindi poem from Inspirational