प्रेरणा पति की
प्रेरणा पति की
प्रेरणा पति की बनना तुम
सुख-दुःख मिलकर सहना तुम।
मैल कोई मन में न रखना तुम
मिल जुलकर सबसे रहना तुम।
सदकर्मों में चित लगाना तुम
व्यर्थ कभी समय न गवांना तुम।
मन-वचन-कर्म से रहना पवित्र तुम
कटु वचन किसी को न कहना तुम।
सुख-दुःख की संगी बनना तुम
कठिन समय धीरज धरना तुम।
निंदा-चुंगली से सदा बचना तुम
कठपुतली कभी न बनना तुम।
बहकावे में किसी के न आना तुम
पत्नी धर्म सदा निभाना तुम।