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Pushpak Kumar

Inspirational

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Pushpak Kumar

Inspirational

पहली कविता

पहली कविता

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न देना टूटने अपने अंदर के विश्वास को कभी

हर एक हार से कुछ सीख कर,

हर दिन तुम्हें एक नया जन्म लेना होगा

अपने आत्मबल से इस गगन को चूमना होगा


दिखा देना इस दुनिया को अपने धैर्य का ताकत

चाहे लहरे हो कितनी भी बड़ी,

समुद्र की चट्टानों की तरह डट कर रहना होगा

अपने आत्मबल से इस गगन को चूमना होगा


लोगो को दिखा दो अपने इच्छा शक्ति की

प्रबलता को

चाहे कितनी भी बड़ी हो बाधाएँ ,

पेड़ के जड़ों की तरह पत्थरों को चीर

कर निकलना होगा

अपने आत्मबल से इस गगन को चूमना होगा


बना दो अपने निश्चय को अटल

सफलता की ऊंचाईयों को पाने के लिये तुम्हें,

इन पछियों से भी ऊंचा उड़ना होगा

अपने आत्मबल से इस गगन को चूमना होगा


अपने सारे उम्मीदों को कर के दिखा दो पूरा

अपने लगन और कड़ी मेहनत से,

सफलता की चोटियों को छूना होगा

अपने आत्मबल से इस गगन को चूमना होगा


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