फिर से वो लोग आ गए
फिर से वो लोग आ गए
फिर से वो लोग आ गए
न जाने कहां से
मुंह पे कपड़ा लपेटे
हाथों में चूड़ियाँ डाल कर
कलम की जगह
लोहे की छड़ लेकर
ज्ञान की जगह
मस्तिष्क में हिंसा भर कर
वो खुद को छात्र कहते है
अपनी ताकत का जोर
दिखा कर
वो भूल गए
शहीद - ए- आज़म को
जो अंग्रेजों से भिड़े
आँख लड़ा कर
पर हम भी क्या करे,
अब भी फिर से वही
कहानी होगी
भीड़ तो बाहर से ही आई
छात्र को आगे कर कर
नेताजी ने बन्दूक चलाई
लेफ्ट बोलेंगे वो राइट से है
राइट वाले बोलेंगे वो तो
लेफ्ट से है
बीच में तो ज्ञान का मंदिर था
जो गिराया जा रहा था
जो जलाया जा रहा था।
