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पहचान

पहचान

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हाँ

मैं नारी हूँ

मुझे क्या चाहिए

एक एहसास अपनेपन का

या..अपनी पहचान बनाने का अधिकार

अपनापन क्या मुझे बिना पहचान के मिला

या...पहचान बना कर ?

मै एक जीव को संसार मे लायी

ये सच है कि उसमे तुम्हारा

बराबर का योगदान है

लेकिन क्या तुम ताउम्र उसे

अकेले पाल सकते हो

फिर क्यों वो तुमसे ही

पहचाना जाता

क्यों नही वो सिर्फ मेरी

पहचान बनता 

बहुत शोर है मेरी स्वतंत्रता का

पर क्या आज भी मै

अपना वजूद नही तलाश रही ?

कभी कभी अन्तरमन तक

एक टीस सी उठती है

एक छटपटाहट एक व्याकुलता

एक सूनापन,शायद इसलिये कि

मैं एक नारी हूँ

हाँ , मै एक नारी हूँ 

अपने ही वजूद मैं

अपनी पहचान को तलाशती...।।।।


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