पहचान
पहचान
ज़रा खुद को तू पहचान ले रे,
दिल का कहा मान भी ले।
क्यूँ करता है, तू दुनिया की फिकर,
कभी खुद की भी कर ले रे।
ज़रा खुद को तू पहचान ले रे,
दिल का कहा मान भी ले।
मिले ठोकरें भी सफर में तो क्या ??
फिर रास्ते भी तो दिखते है,
साफ - साफ रे।
ज़रा खुद को तू पहचान ले रे,
दिल का कहा मान भी ले।
क्यूँ डरता है, तू खुद को खोने से,
खुद को खोकर भी पाना तो पाना है, रे।
ज़रा खुद को तू पहचान ले रे,
दिल का कहा मान भी ले।
क्यूँ करता नहीं तू दिल की रे...
क्यूँ करता नहीं तू दिल की रे...
ज़रा खुद को तू...