पाकिस्तान है वो
पाकिस्तान है वो
मुझे तो लगा था,
मेरा था, मेरा घर है वो,
पर लोग कहते हैं,
अब पाकिस्तान है वो ।
उस कमरे की खिड़की से,
हल्की-सी धुप आती थी,
जहाँ रोज कभी,
दादी सरसों सुखाती थी ।
जहाँ नमाज और गुरबानी,
एक ही आंगन मे पढ़ी जाती थी,
अम्मी और मम्मी बस,
माँ शब्द से पुकारी जाती थी ।
उस आंगन में आज फिर,
जाने का अरमान है,
पर लोग कहते हैं,
अब वो पाकिस्तान है ।
जहाँ आजादी का तो,
पता नहीं लेकिन,
साथ रहने की खुशी,
जरूर मनाई जाती थी ।
जहाँ दु्श्मनी का तो,
पता नहीं लेकिन,
भाईचारे की खुशबू,
हर धर से आती थी ।
क्यों आज भी एक बात,
मुझे हर रोज सताती है,
इंसान है हम, इंसान है वो,
फिर न-जाने क्यों लोग कहते हैं,
अब पाकिस्तान है वो ।
पूछेगा कभी कोई,
हिंदुस्तान से अगर,
कहाँ है परिवार तुम्हारा,
कहेगा वो भी मुस्कुरा कर,
सरहद के पार,
एक जुड़वा भाई है हमारा ।
रंग रूप में एक हैं वो,
हमारे जैसे अनेक हैं वो,
फर्क है तो सिर्फ इतना,
लोग कहते हैं की,
अब पाकिस्तान है वो ।