Sukriti Verma
Inspirational
मन को है यह बहलाती,
परिश्रम करना हमें सिखाती,
इसीलिए तो यह कला नृत्य है यह कहलाती!
आकाश
बच्चे!
परोपकार
नृत्य
मिट्टी
आत्मविश्वास
हंसी
मानवता
पंछी
त्योहार!
हनुमान का इंतज़ार है, या लक्ष्मण की आशा, खुद से ना उठेगा जो, पाएगा बस निराशा हनुमान का इंतज़ार है, या लक्ष्मण की आशा, खुद से ना उठेगा जो, पाएगा बस न...
कमज़ोर न समझना उसे, वही दुर्गा का रूप है, वही काली का स्वरूप है। कमज़ोर न समझना उसे, वही दुर्गा का रूप है, वही काली का स्वरूप है।
इतनी मुहब्बत दी आपने की ज़रूरत ना पड़े किसी और के आने की, इतनी मुहब्बत दी आपने की ज़रूरत ना पड़े किसी और के आने की,
वरण करता मरण का जो वो तुम वो धीर बोते हो। वरण करता मरण का जो वो तुम वो धीर बोते हो।
दुआएँ लेने का सौभाग्य प्राप्त करें, एक महादान करें, नेत्र दान करें। दुआएँ लेने का सौभाग्य प्राप्त करें, एक महादान करें, नेत्र दान करें।
हमें ही अलख जगाना है हमें अपने और अपनों को बचाना है। हमें ही अलख जगाना है हमें अपने और अपनों को बचाना है।
किसको आस मंज़िल से है अब, मैं तो बस चलना सीख रहा हूँ। किसको आस मंज़िल से है अब, मैं तो बस चलना सीख रहा हूँ।
कुछ तृप्त अपनेआप को समझती हूँ जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ। कुछ तृप्त अपनेआप को समझती हूँ जिन्दगी कुछ इस तरह से जीती हूँ।
इंतजार करते रहना है, या पार करते चले जाना है। इंतजार करते रहना है, या पार करते चले जाना है।
दोस्त मिले तो बहुत मिले, मोहब्बत भी हमें कई बार हुई... गर आज अकेले बैठे हैं, तन्हाई का आख़िर यह मातम... दोस्त मिले तो बहुत मिले, मोहब्बत भी हमें कई बार हुई... गर आज अकेले बैठे हैं, तन...
शक्तिहीन नर तुझे दिखाते कायर करते है, दिग्दर्शन तू ज्वाला तू सौम्या तू अस्मिता शक्तिहीन नर तुझे दिखाते कायर करते है, दिग्दर्शन तू ज्वाला तू सौम्या तू...
अपनी लेखनी ऐसे चलाये, सोचने पर हम विवश हो। अपनी लेखनी ऐसे चलाये, सोचने पर हम विवश हो।
लगता था वर्षों से सोया था। लेकिन अब मैं जाग चुका, बेजान सा पल भाग चुका। लगता था वर्षों से सोया था। लेकिन अब मैं जाग चुका, बेजान सा पल भाग चुका।
मैं अर्धरात्रि का एक प्रतिबिंब हूं मैं टुकड़ों में ख़ुद को ढूँढता एक छवि हूं।। मैं अर्धरात्रि का एक प्रतिबिंब हूं मैं टुकड़ों में ख़ुद को ढूँढता एक छवि ...
मंजिल को फिर चूमकर जश्न का ऐलान कर। मंजिल को फिर चूमकर जश्न का ऐलान कर।
निज हितों की सुधि बिसार, सर्वहित का कर विचार। अल्प लक्ष्य देवें टार, निज हितों की सुधि बिसार, सर्वहित का कर विचार। अल्प लक्ष्य देवें टार,
फिर भी घर के कोने में कचरे सामान दुर्दशा होती है उसकी घरबार में। फिर भी घर के कोने में कचरे सामान दुर्दशा होती है उसकी घरबार में।
ज्ञानी रावण भी क्रोधित हो पर स्त्री हर लाता है तीनों लोक विजय पाकर भी रण में मृत हो ज्ञानी रावण भी क्रोधित हो पर स्त्री हर लाता है तीनों लोक विजय पाकर भी र...
डांट तुम्हारी जीवन दिखलाती बेखौफ मजबूत इंसान बनाती डांट तुम्हारी जीवन दिखलाती बेखौफ मजबूत इंसान बनाती
वो धरती हिन्दुस्तान की हो, पहचान मेरी तिरंगा हो ! वो धरती हिन्दुस्तान की हो, पहचान मेरी तिरंगा हो !