बच्चे!
बच्चे!
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मन से होते हैं यह भोले,
इनके कर्म होते हैं निराले,
जो होता है इनके मन में वही है बोलते,
अपनी ही दुनिया में मग्न रहकर है डोलते,
हर परिस्थिति में रहते हैं गाते मुस्कुराते ,
इसीलिए तो बच्चे हैं यह कहलाते!
