STORYMIRROR

Anita Saun

Abstract Children Stories

4  

Anita Saun

Abstract Children Stories

नन्ही चिड़िया

नन्ही चिड़िया

1 min
580

मेरे शहन में नित आती है,

इक नन्ही चिड़िया।

नीड़ को अपने तिनकों से,

रोज सजाती चिड़िया।


तिनका, कंकड़, मिट्टी,गारा

लेकर, घरोंदा खुद का 

खूब सजाती चिड़िया।


घरौंदा बुनती मुझे वो !

एक अभियंता-सी लग जाती चिड़िया।

चीढ़े को द्वार बैठा कर,

निज बच्चों हेतु,दाना दुनका लाती चिड़िया।


चीं-चीं-चीं-चीं करते नन्हें बच्चों को जो लाती !

वहीं बारी-बारी से खिलाती चिड़िया।

मिलकर रहना और बांट कर खाने की शिक्षा दे !

मेरी मां -सी ही हो जाती चिड़िया।


बढ़ते बच्चों को,जीवन जीने की कला

सिखाने की मंशा से,

आसमान में उड़ना

रोज सिखाती चिड़िया।


बीतने वाले इन पलों में मुझको !

एक शिक्षक-सी लग जाती चिड़िया।

अपने हर कृत्य से एक नया ज्ञान और नया पाठ

मुझको रोज सिखाती चिड़िया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract