निश्चय
निश्चय
एक मुट्ठी में सारा आसमाँ भरना है
या एक छलाँग में समंदर तैरना है
तेरी होगी ये कायनात एक दिन देखना
तू बस तय तो कर तुझे क्या करना है।
ये खुशफ़हमी न रहे कि सब आसान है
न ये डर हो कि सामने सिर्फ़ तूफ़ान है
करनेवाले और डरनेवाले दोनों ही हैं दुनिया में
तू बस तय कर इनमे से तू कौनसा इंसान है।
ज्वाला की तरह तेज जलना है
या मोम की तरह धीरे पिघलना है
रास्ते तो दोनों ही रौशनी की ओर जाते हैं
तू बस तय कर तुझे किस पर चलना है।
मुश्किलें बहुत सी होंगी ये तो सब कहते हैं
अच्छा बुरा सब सहेगा तू जैसे सब सहते हैं
तो क्या अलग है जिससे महान तू बन पायेगा ?
तू बस तय कर के हर ठोकर के बाद तू दुगुना जोर लगाएगा।