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Shweta Misra

Romance

1.0  

Shweta Misra

Romance

निश्छल प्रेम

निश्छल प्रेम

1 min
335


ये रात के सन्नाटे जिनमें हैं अपनी ही बातें

तेरे निश्छल प्रेम ने मेरे सुख दुःख हैं बांटे

 

जब भी सोचने बैठूं तुमको

जाने क्यों बह जाती है ये आँखें

किन जन्मो का हिसाब है ये

किन धागों से है गए हम बाँधें।


नींदों में भी हमने हैं तुमसे

जीवन क़े हर रफ़्तार हैं बांटें 

तुम पर प्यार लुटा दूँ तुमसे ही

चाहूँ प्यार की अनमोल सौगातें।


मासूम वक़्त में साथ चलने के

कुछ वादे और वो कोमल इरादें

चांदनी की इस मद्धिम प्रकाश में

पायी हैं हमने ऋतुओं की बरसातें।

 

शाम ढले आँगन क़े नीम छावं में 

चिड़ियों की चूँ चूँ करती आवाजें

एक पल दिल को छूती दूजे पल

दूर कहीं उड़ जाती लेकर अपनी बातें।


बाट जोहती लौटने की दरवाज़े पर

टक टक करती ये सूखी आँखें 

जब तुम आते अल्हड़ सी बलखाती

नदिया सी मैं भी तुमसे मिलने आती।


बेखबर हो शब्-ओ-सुबह तेरी

याद में तेरी बात में दिन रैन बिताती

बरसो-बरस तेरे आने पर निश्छल मन से

तुम पर सारा प्यार लुटाती।


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