नए किरदार
नए किरदार
कितने नए किरदार बन जाता हूं
आज अच्छा तो कल बुरा बन जाता हूं
जब मित्रता आये तो कर्ण बन जाता हूं
ओर शत्रुता आये तो कुरुक्षेत्र बन जाता हूं
कभी मोहब्बत की बात आये तो कृष्ण बन जाता हूं
ओर माँ की बात आये तो रावण बन जाता हूं
कितने नए किरदार बन जाता हूं
वक्त के साथ मै कितना बदल जाता हूं
कभी पिता के आगे राम बन जाता हूं
तो कभी पुत्र के आगे धृतराष्ट्र बन जाता हूं
जब भाई की बात आये तो लक्ष्मण बन जाता हूं
और घर की बात आये तो पितामह बन जाता हूं
मैं रोज न जाने कितने किरदार बन जाता हूं
आज अच्छा तो कल बुरा बन जाता हूं।