नारी
नारी
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रम्य सुंदर लघु कुसुम की क्यारियां
है पनपती जेल दुख दुश्वारियां।
है करोड़ों भाव जिस कंचन हृदय में
ऐसी सुरम सरिता है जग की नारियां।
सतत मानव को जगत से जोड़तीं
मधुर वत्सलता के मधु में बोरतीं।
हैं अनेकों रूप इनकी सृष्टि में
प्रेम और ममता की चादर ओढ़तीं।
आस्था और श्रद्धा का यह आधार है
करुण्य मृदु वात्सल्य का भंडार हैं।
देवता भी वास करते हैं वहां
हो रहीं पूजित जहां पर नारियां।
उत्तुंग गिरि और गगन की ऊंचाइयां
अगम सागर की गहन गहराइयां।
सबको निज उत्साह से हैं नापतीं
शक्ति का पर्याय बनतीं नारियां।