नारी तू 'नारायणी'
नारी तू 'नारायणी'
अबला समझते हो नारी को?
अगर अपनी उत्पत्ति का ज्ञान हो
तो, नादाँ न रहो अब
याद करो, जब एक नारी ने ब्रह्मा बन
तुम्हें जन्म दिया था!!
आज खड़े हो अपने पैरो पर,
उसी को अपने पैरों तले दबाकर
याद रखना मगर,
एक नारी ने ही हरी बन
तुम्हें चलना सिखाया था!
सहनशीलता की प्रतिमा है जो
जिसे आज तुम पीड़ित करते हो
थम जाओ वहीं,
गर महादेव बन, उसने तांडव आरंभ किया
भस्म हो जाएंगे सभी!
नारी आदि है, नारी अंत है और नारी ही मध्य है!
नारी ही सृष्टि है,
सृष्टि ही नारी का वेश है!
नारी ही ब्रह्म, विष्णु, महेश है!!
