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Ravi Roshan

Inspirational Others

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Ravi Roshan

Inspirational Others

मुरली उठाने वाला चक्र भी उठायेगा

मुरली उठाने वाला चक्र भी उठायेगा

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बदलाव का बहाव हैं।

करुणा का अभाव हैं।

क्यों डरता हैं परिवर्तन से,

तुझपे किसका दबाव हैं।

कुरुक्षेत्र सज चूका हैं।।

पाञ्चजन्य बज चुका हैं।।

रवि इहतिमाल दे वक़्त करवट बदलने वाला हैं।

मुरली उठाने वाला अब चक्र उठाने वाला हैं।

प्रारम्भ हो चुकी हैं पुरानी रीत के अंत की।

तू भी आरम्भ कर दे जीवन रूप कुम्भ की।

धर्म बनाने वाला यहाँ तू नहीं कोई और हैं।

धर्म अधर्म कर्म है मनुष्य मात्र दौर हैं।

जान ले तू मान ले यही अमृत्य सत्य हैं।

वृथा क्यों हठ ठानता हैं जाती लोभ व्यर्थ हैं।

वेद शास्त्र चरित्र सभी, मनुष्य मात्र के है कृत्य सभी।

कुछ भी नहीं पन्नों में, इनके, लेखक हैं मृत्य सभी।

अपने युग हिसाब, ढाला है जिसको।

अब तक क्यों तू, पाला है उसको।

घटाये फिर से छा रही हैं, लताएं गीत गा रही है।

युगान्तर का दौर है देख, नियति तुझे बुला रही हैं।

कर्म कर पराक्रम पूर्वक, ताकि मनुष्य भी विधाता बने।

निर्माण कर उस प्राण का, इस युग का जो गाथा बने।

या फिर कृष्ण के इंतजार में तू वक़्त अपना काट रहा।

आँखें खोल तू देख, अभी, कान्हा माखन चाट रहा।

वो सारथी भी बन जायेगा, जो वक़्त वैसा आयेगा।

मुरली उठाने वाला उस दिन, चक्र भी उठायेगा।

जो कृष्ण ही तेरा अर्थ है, जो वो ही तेरा सामर्थ्य है।

तो देख चारों और अपने, साथ कृष्णा का व्यर्थ हैं।

प्राण प्रिय प्राण तारी बना, कितने पाप का रूप मुरारि बना।

जो उँगली संरक्षण हेतु उठा था, गिरिधारी तू चक्रधारी बना।

जिन हाथों से मुरली बजा रहा था,

क्या धर्म ज्ञान तू सिखा रहा था।

वो सेना तेरी संतान ही थी,

जिनके कातिल का रथ तू चला रहा था।


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