मस्करा
मस्करा
मस्करा यानि की जोकर
हर सर्कस में होता
हर ताश की गड्डी में होता
रंगता अपने को कई रंगों से
सजाता कई अक्षों में
पहनता कई अजीब से परिधान
लगाता मुखोटे अपने
चेहरे के सच को
छुपाने के लिए
करता हरकतें कैसी कैसी
कभी उछलता कभी उड़ता
कभी गिरता कभी उठता
करता सब कुछ
सबको हंसाने के लिए
हंसाता बड़ों को बच्चों को
कुछ का कुछ कर जाता
रोता गाता हँसता हंसाता
क्या नहीं करता अपनी
अजीविका कमाने के लिए
अपना बच्चों का
पेट पालने के लिए
कोई झाँक कर देखे
उसके दिल में उसके मन में
उसके मुखोटे के भीतर
उसके चहरे का सच
कितना दर्द भरा उसके
जीवन में उसके अंतर्मन में
आदमी घूमता कई
मुखोटे लगा अपने चेहरे पे
कभी करता अच्छा कभी बुरा
बदलता चेहरे का रंग
अपनी फितरत इस
मुखौटे की तरह
एक मस्करा करता
अपने दर्द को
छुपाने के लिए
लोगों को हंसने
और हँसाने के लिए।