Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Deepak Shrivastava

Abstract

4  

Deepak Shrivastava

Abstract

मस्करा

मस्करा

1 min
395


मस्करा यानि की जोकर

हर सर्कस में होता

हर ताश की गड्डी में होता

रंगता अपने को कई रंगों से

सजाता कई अक्षों में


पहनता कई अजीब से परिधान

लगाता मुखोटे अपने

चेहरे के सच को

छुपाने के लिए 

करता हरकतें कैसी कैसी

कभी उछलता कभी उड़ता 


कभी गिरता कभी उठता

करता सब कुछ

सबको हंसाने के लिए

हंसाता बड़ों को बच्चों को

कुछ का कुछ कर जाता


रोता गाता हँसता हंसाता

क्या नहीं करता अपनी 

अजीविका कमाने के लिए

अपना बच्चों का

पेट पालने के लिए


कोई झाँक कर देखे

उसके दिल में उसके मन में

उसके मुखोटे के भीतर

उसके चहरे का सच

कितना दर्द भरा उसके

जीवन में उसके अंतर्मन में


आदमी घूमता कई

मुखोटे लगा अपने चेहरे पे

कभी करता अच्छा कभी बुरा

बदलता चेहरे का रंग

अपनी फितरत इस


मुखौटे की तरह

एक मस्करा करता

अपने दर्द को

छुपाने के लिए

लोगों को हंसने

और हँसाने के लिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract