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jini pari

Abstract

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jini pari

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मसान

मसान

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तैयारी हो रही थी ,उसे विदा करने की

उसे सजाया जा रहा था, दुल्हन बनाया जा रहा था

कुछ इधर रो रहे थे, कुछ उधर रो रहे थे


पर आँसू सबकी आँखों मे भरे थे

चारों तरफ शोर-गुल हो रहे थे,

कहीं गाने बजाने की धुन तो नहीं थी


पर एक तरफ सन्नाटा, तो एक तरफ चीख थी

वो अब पूरी तरह तैयार हो चुकी थी

चीख की आवाज और ऊंची हो रही थी


सन्नाटा खत्म होता जा रहा था

उसे आखिरी बार देखने के लिये भीड़ उमड़ रही थी

उसकी माँ अभी भी दूर एक कोने में खड़ी रो रही थी


उसे दिलासा देने वाले बहुत थे,

पर अंदर से सब टूट कर बिखरे थे

अब उसके जाने का वक़्त हो चला था,

उसे कस कर बांधा जा रहा था


क्यूंकि उसे पालकी पर नहीं

अर्थी पर लिटाया जा रहा था।


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