मंज़िल
मंज़िल
आसमान से आगे और क्षितिज से दूर
वो मंज़िल मुझे मिलेगी ज़रूर,
रब की होगी रज़ामंदी उसमे
और किस्मत को भी होगी कुबूल !
वो मंज़िल मुझे मिलेगी ज़रूर,
बचपन में सुनी थी एक कहानी मशहूर
जो रखता है धीरज वही जाता है दूर !
फूल तो मुरझा कर हो जाता है चूर
पर ये खुशबू उसकी हो जाती है मशहूर !
उस फूल सी कोमल और खुशबू से भरपूर
वो मंज़िल मुझे मिलेगी ज़रूर …
