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मीठा इंतज़ार

मीठा इंतज़ार

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रास्ता नया सा है

पर कुछ जाना पहचाना

ये सफर शुरू हुआ

था अब तलक अनजाना ।


अच्छी लगने लगी मुझे

मीठे फ़ूलों की महक

कच्चे आम के चटकारे भाने लगे

आईने में जो अक्स देखूं

तो होठ मुस्कुराने लगे ।


जी चाहे तुझे बाँहों में भर लूँ

हसरतें अब सभी पूरी कर लूँ

थाम तेरे हाथ, मेरी जान, मेरे चंदा

फिर से मै जी लूँ, बचपन मेरा ।


झपकाऊँ पलक, बीत जाये ये वक़्त

गोद मे मेरी तू खिलखिलाने लगे

तुझे लाड़ करूँ, प्यार करूँ

तुझ पे जाऊँ मैं वारी,

अपनी नादानियों से तू

दिल मेरा लुभाने लगे ।


है 'मीठा इंतज़ार' मुझे

उस पल का बेसब्री से

जब ले कर तुझको बाँहों में

लगाऊँगी मै सीने से

जब ले कर तुझको बाँहों में

लगाऊँगी मै सीने से ।।


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