मेरी परछाई
मेरी परछाई
वोह जो मुझे और लम्बा कर दे
वोह जो मुझे फिर बचकाना कर दे
कभी मेरे साथ खेले
कभी मुझे खिलाए
वोह लंबे रास्तों का सफर
वोह लंबी बागानों की सैर
कभी मुझसे खिलखिलाना
कभी मुझसे रूठ जाना
वोह कोशिश मेरी कि कुछ सिखाना
वोह हर बार तुम से कुछ सीखना
कभी लगता है मेरी हमदम आई
कभी लगता है मेरी ही परछाई।
