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Rishi Trivedi

Abstract

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Rishi Trivedi

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२०२० का ढलता सूरज

२०२० का ढलता सूरज

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ए २०२० के ढलते सूरज, तेरा रंग सच्चा नहीं

इसमें मिला अपनों का भी रंग है

उनसे कहना, जब ढलने बाद मिलना कंही

वो साथ नहीं पर यादें अब भी संग हैं!


कल फिर से मेरे द्वारे आना

पंछियों को फिर से है गुनगुनाना

इस बार रक्त नहीं, हल्दी लगा कर आना

सब में फिर से उमंग जगाना!


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