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Meenakshee Dash Panigrahi

Abstract

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Meenakshee Dash Panigrahi

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मेरी जीवन एक पहेली है

मेरी जीवन एक पहेली है

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मेरी जीवन एक पहेली हैं

कभी खुशी तो कभी आंसू मेरी सहेली है

पैदा तो कोक से हुई थी उसे पहले ही  

मेरी जीवन की कहानी तय कर दी गई थी

कुछ नगमे हमने सुनाए थे कुछ जिंदगी सुनानी लगी हमें

कभी ख़ामोशी सहेली बन गए कब वक़्त बेवक्त  

हम किसीके लिए बेगाने बनगए

कभी हम किसीकी खुसी कभी उम्मीद

कभी किसीके लिए जिम्मेदारी बन गए

कभी बेटी कभी बहू कभी बहन कभी पत्नी

हर किरदार में खड़े रहने की कोशिश की है

क्या हैं क्यों है सेल्फ रेस्पेक्ट नहीं है लड़की का हक़

दबना जरुरी है लड़की को समाज क्या कहेगा  

लोग क्या कहेंगे हर किस प्रश्न की उतर बनने लगे हम

क्यों ये सवाल है सिर्फ हमारे लिए

मेरी जीवन एक पहेली है कभी धूप की दर्द  

तो कभी छाया की शीतल तन्हाई है


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