Meenakshee Dash

Abstract

3.5  

Meenakshee Dash

Abstract

मेरी जीवन एक पहेली है

मेरी जीवन एक पहेली है

1 min
241


मेरी जीवन एक पहेली हैं

कभी खुशी तो कभी आंसू मेरी सहेली है

पैदा तो कोक से हुई थी उसे पहले ही  

मेरी जीवन की कहानी तय कर दी गई थी

कुछ नगमे हमने सुनाए थे कुछ जिंदगी सुनानी लगी हमें

कभी ख़ामोशी सहेली बन गए कब वक़्त बेवक्त  

हम किसीके लिए बेगाने बनगए

कभी हम किसीकी खुसी कभी उम्मीद

कभी किसीके लिए जिम्मेदारी बन गए

कभी बेटी कभी बहू कभी बहन कभी पत्नी

हर किरदार में खड़े रहने की कोशिश की है

क्या हैं क्यों है सेल्फ रेस्पेक्ट नहीं है लड़की का हक़

दबना जरुरी है लड़की को समाज क्या कहेगा  

लोग क्या कहेंगे हर किस प्रश्न की उतर बनने लगे हम

क्यों ये सवाल है सिर्फ हमारे लिए

मेरी जीवन एक पहेली है कभी धूप की दर्द  

तो कभी छाया की शीतल तन्हाई है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract