अहंकार
अहंकार
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हर कोई नीचे से ऊपर जाता है
फिर भी मन में अहंकार क्यों पनपता है॥
छोटा सा पौधा एक दिन विशाल वृक्ष बनता है
नन्ही सी जान जो पंख आने पर उड़ान देती है॥
पर इंसान जब बड़ा होता हे तो इतना अहंकार क्यों करता है।
ये तो नियम है प्रकृति के जो हम आज है वो कल नहीं रहते है॥
गरीब भी अमीर होता है अमीर को भी झुकना पड़ता है
फिर क्यों इंसान अपने विशाल होने का अहंकार करता है॥
माटी से पैदा शरीर एक दिन माटी में मिल जाता है
फिर भी मनुष्य अपने में बनावटी अहंकार करता है॥
जो आज है वो कल नहीं होगा हर कोई किसी के इशारे पे चलता है॥
उसकी मर्जी ही सर्वश्रेष्ठ है जिसको परमात्मा बोलते है
ये समझते हुए भी क्यों अहंकार आता है॥