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Rachana Chavan

Abstract

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Rachana Chavan

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मेरी अभिव्यक्ति- एक रूदन

मेरी अभिव्यक्ति- एक रूदन

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प्रस्तुत काव्य कवयित्री लिखित एवं निर्मित  "पावन पौधा प्रीत का" नामे काव्यसंग्रह का संग्रहित भाग हैं

बचपन में सीखा था अभिव्यक्ति का मतलब,

---''खुद के अस्तित्व को पहचान देना और स्वतंत्रता के लिए झगडना ऽ,

अंधश्रध्दा से बैर रखना पर सच्ची श्रध्दा को नमन करना ऽ,

अच्छे संस्कारों से बढ़ना और सभी के शील का सन्मान रखना ऽ,

इन्सानी मर्यादा का पालन कर अंत में पाना है रब।''

अब,

समय का चक्र जरा बदल सा गया, सारा जहान हुवॉं करीब।

और फिर माध्यम समाज के सारे

मुझे चिल्लाह-चिल्लाह के समझाने लगे अभिव्यक्ति का नया मतलब,

---''अनिर्बंध व्यसनों के अधीन होना ऽ,

दूजे को गाली-बदनामी और स्वकीर्ति बटोरना ऽ,

कला रंजन-लेखन स्वतंत्रता अधूरी उन्मादक चित्रण के बिनाऽ,

फॅंसाके किसी को मोहजाल में, आसान हैं पूंजी जमाना।''

  ................................

शायद, बचपन में सीख देनेवाले सारे अज्ञानी थे।

ज्ञानी पंडित तो नए जमाने में ही उभरे।

अरे वाऽऽ, नए ज्ञान की राह तो आसान सी लगी,

लगता हैं मन को मजे देगी।

                  पर,

पर फिर क्यों ऐसे मजे में, घुट रही है मेरी सांस

और दिल में हो रहा अंधेरे का एहसास।

जमीर भी बेचासा लगे, सच्चा प्यार धुवे में गुमसा।

अब अंत में कैसे पाए रब!

वाऽरे मेरी अभिव्यक्तिऽऽऽ, कैसे उभर रही तू गजब !


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