मेरे ख्वाब
मेरे ख्वाब
लोगों से क्या
शिकायतें करना
ये जिस्म भी तो
मिट्टी की अमानत है
जीने की आस जो दे
और मरने का सुकून भी
मेरे ख्वाब ही
मेरी ज़मानत हैं...!
लोगों से क्या
शिकायतें करना
ये जिस्म भी तो
मिट्टी की अमानत है
जीने की आस जो दे
और मरने का सुकून भी
मेरे ख्वाब ही
मेरी ज़मानत हैं...!