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Khushboo Khushboo

Abstract Others

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Khushboo Khushboo

Abstract Others

मेरे अंग

मेरे अंग

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मैं कभी कभी यह सोचती थी,

कि मेरे अंगों मे ऐसी क्या बात है।


वैसे शायद कुछ तो बात होगी मेरे अंगों में,

जो तुम्हे रिझाने मे यूंही सक्षम हो जाते हैं।


मेरे अंग इतने प्रभावशाली है कि,

रोज़ तुम्हे बिना बुलाए,

मेरी उस ही गली में खींच लाते हैं।


शायद उतनी कुछ बात नहीं है मेरे अंगों में,

वो तो तुम ही चित्रकार हो,

जो बिना कुछ बोले बताए,

मेरे अंगों का चित्र,

अपने ख़्यालों में रंग जाते हो।


बहरहाल इतना जादू तो है मेरे अंगों में,

जो मेरी कविता तो खत्म होने आई है,

पर तुम्हारा ध्यान अभी भी है मेरे अंगों पर।


शायद कुछ बात तो है मेरे अंगों में।


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