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Ajay Singh Yadav Poet

Abstract Inspirational

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Ajay Singh Yadav Poet

Abstract Inspirational

मेरा ईश्वर मेरी मां

मेरा ईश्वर मेरी मां

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पत्थर की मूर्ति क्यों पूजूं 

साक्षात ईश्वर हैं, मेरी मां।

इस दुनिया के प्रकाश में

मुझको लाईं, मेरी मां।


पत्थर की मूर्ति क्यों पूजूं

साक्षात ईश्वर हैं, मेरी मां।

मुझको इस दुनिया में लाने में

पता नहीं कितना दर्द सहा होगा , मेरी मां ने।

जब- जब रोया सारे काम छोड़ कर 

मुझे चुप कराया , मेरी मां ने।


जिस भी चीज की मैंने जिद कर दी 

उस चीज को मुझे दिलवाया , मेरी मां ने।

पत्थर की मूर्ति क्यों पूजूं 

साक्षात ईश्वर हैं, मेरी मां।

मुझे सुलाने के लिए 

कई रातें जागी हैं , मेरी मां।


जब -जब मैं विचलित हुआ 

मुझसे ज्यादा विचलित हो जाती थीं,

मेरी मां।

मुझे कोई कष्ट न हों

इसलिए स्वयं सारे कष्ट सह जाती थीं , मेरी मां।

पत्थर की मूर्ति क्यों पूजूं 

साक्षात ईश्वर हैं, मेरी मां।


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