Men Will Be Men (संस्मरण)
Men Will Be Men (संस्मरण)
बात अरुणाचल की एक शाम की है।देश के इस हिस्से में सवेरा और शाम दोनों जल्दी हो जाते हैं। जिप्सी में मैं , मेरा ड्राइवर , और दो जेइ साब थे। मेरा ड्राइवर हिमाचल का था, एक जेइ साब बंगाल के तो दूसरे जेइ साब हमारे उत्तरप्रदेश के ही थे।
उस दिन हम लोग 6 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर थे और हमारा गंतव्य कोई 12 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर था। दोनों स्थानों के बीच की दूरी करीब 30 किलोमीटर की थी। आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि सारा रास्ता चढ़ाई वाला ही था। यह रास्ता बड़ा घुमावदार भी था। यूँ समझ लीजिए कि हर किलोमीटर पर दो मोड़ थे।अँधेरा हो चुका था। बाहर झमाझम पानी बरस रहा था। सरकारी जिप्सी वैसे तो ठीक थी पर लगातार चढ़ाई वाले रास्ते पर कब धोखा दे जाए , निश्चित रूप से कहा नहीं जा सकता था। रास्ता पूरा सुनसान रहने वाला था। बीच में मोबाइल नेटवर्क की भी कोई सुविधा नहीं थी। अगर रास्ते में जिप्सी कहीं खराब होती, तो बाकी रास्ता पैदल ही नापना पड़ता, ये तय था।
तो चर्चा इस बात से शुरू हुई कि अगर पैदल -यात्रा की नौबत आयी तोह रास्ते में किन-किन खतरों का सामना करना पड़ सकता है?
बंगाली जेई साब बोले-" सर, रास्ते में सांप मिल सकते हैं।" तो यूपी वाले जेई साब बोले- " सर, सांप नीचे ही मिलेंगे। जैसे -जैसे ऊपर चढ़ेंगे, वैसे -वैसे सांप के मिलने के चांस कम हैं।" तबतक हिमाचल का मेरा ड्राइवर बोला-"सर, रास्ते में सबसे बड़ा खतरा कुत्तों के झुण्ड का है।" उसने हिमाचल के अपने एरिया की एक घटना का ज़िक्र करते हुए बताया कि कैसे एक साब ऐसे ही एक कुत्तों के झुण्ड में फंस गए। अगले दिन उनकी क्षत-विक्षत डेड बॉडी मिली।"
मैंने भी मन में सोचा कि ड्राइवर की बात में दम तो है। इस एरिया के कुत्ते अपने मैदानी इलाकों के कुत्तों जैसे नही है। आकार में बड़े, पूरे शरीर में लंबे , घने ,मोटे बाल-एकदम जबर। डील-डौल में 'Game of Thrones' के Direwolves से थोड़े ही छोटे होंगे।
तब तक ड्राइवर ने खुद ही समस्या का समाधान बताते हुए कहा-" सर, चिंता की कोई बात नहीं है। कुत्ते झुण्ड में आ जाएं तो एक बात का विशेष रूप से ध्यान रखना है कि बस गिरना नहीं है। अगर गिर गए, तो नोच खाएंगे।"
तभी बंगाली बाबू ने आवाज़ में रहस्यमयी गंभीरता लाते हुए धीरे से कहा- " सर, रास्ते में भूत भी तोह मिल सकते हैं।" इसपर यूपी वाले जेई साब चहक के बोले- "हाँ सर, भूत तो यहाँ होते हैं। हम लोगो के यहाँ मानते हैं कि अगर मरने वाले का शव क्षत-विक्षत हो जाए, तो दिवंगत की आत्मा को शांति नहीं मिलती....भूत बनकर भटकती है और यहाँ तो शव को जलाने या दफनाने की नहीं, बल्कि शव के टुकड़े कर तेज़ बहते हुए पानी में बहाने की परंपरा है। भूत तो यहाँ जरूर मिलेंगे।"
जेई साब की बात सुनकर, मेरे मुंह से अचानक निकल गया - "अरे जेई साब, भूत-वूत कुछ नहीं होते। सब मन का वहम है।"
मेरा इतना ही कहना था कि तीनों एक साथ मेरे चेहरे की तरफ देखने लगे। मानों कहना चाह रहे हों-" अच्छा! भूतों पर विश्वास नहीं है। ऐसे कैसे? अभी कराते हैं भूतों पर विश्वास।"
ड्राइवर को मैं बोला कि भाई, तू तो सामने रोड देख और पीछे मुड़कर दोनों जेई साब लोगों को दुबारा कहा कि साब मेरी भूतों में कोई श्रद्धा नहीं है।
तभी हमारे यूपी वाले जेई साहब उद्वेलित होकर बोले,"सर, मैं आपको भूतों की असली कहानी सुनाता हूँ। हमारे एक ताऊ जी है। अपने क्षेत्र के बड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति। वो अक्सर घोड़े पर बैठकर बाजार जाते थे। एक दिन बाजार से लौटते समय, रास्ते में उन्हें एक बहुत -बहुत ही खूबसूरत लड़की अकेली दिखी। उन्हें लगा कि लड़की परेशानी में होगी। इसलिए उसकी मदद के लिए उसके पास चले गए। पर जैसे ही उसके करीब पहुंचे उन्होंने देखा कि उस खूबसूरत लड़की के पैर ज़मीन से हल्का ऊपर थे। खतरा भांप कर, तुरंत ही वो घोड़े पे बैठकर वापस घर लौट गए।अब सर हमारे ताऊजी , जो इतने प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं वो झूठ तो नहीं बोलेंगे। सर , एक किस्सा तो मेरे साथ खुद हुआ । कोई रात का समय रहा होगा। रास्ते में हमें एक अकेली बहुत-बहुत ही खूबसूरत लड़की दिखी। हम भी उसकी मदद को पहुँच गये। पर पास से देखा तो उसके पैर उलटे थे। हमारी किस्मत अच्छी थी कि हम बच गए। अब सर, आपसे हम झूठ तो नहीं कहेंगे। "
मैंने कहा - " साब, मैं यह नहीं कह रहा कि आप या आपके ताऊजी झूठ बोल रहे हैं। मैं यह कह रहा हूँ कि भूत नहीं होते, पर फिर भी किसी को दिख रहे हैं तो ये उनके दिमाग का केमिकल लोचा है। आपने मुझे दो कहानियां सुनाई और दोनों ही कहानियों में भूतनी बहुत -बहुत ही खूबसूरत थी। आपकी कहानी ही नही, मैंने जवान या अधेड़ उम्र के जितने आदमियों से भूतों की कहानियां सुनी , उन सबमे भूतनी हमेशा बहुत -बहुत खूबसूरत ही होती है। ऐसा क्यों?"
मेरी बातें सुनकर बंगाली बाबू तपाक से बोले- " सर, पर भूतों का अनुभव सिर्फ आदमियों को नहीं, महिलाओं को भी है। "
मैंने कहा-" हाँ भूतों का अनुभव दोनों को है, पर दोनों के अनुभवों में अंतर है। जहाँ आदमियों को खूबसूरत भूतनी दिखती है, औरतों को खूबसूरत पुरुष -भूत नहीं दिखते बल्कि उनपर सीधे माता आती हैं। मैंने किसी महिला के भूत के ऐसे अनुभव को नहीं सुना जिसमें उन्होंने कहा हो कि वो घर वापस आ रही थीं और उन्हें रास्ते में बहुत खूबसूरत शक्ल वाला भूत मिला हो और उसके उलटे पांव देखकर वो उलटे पांव लौट गईं हो।
असल बात तो यह है कि कल्पनाएं भी आइसोलेशन में नहीं होती। वास्तिवकता का अक्स, कल्पनाओं में भी झलक ही जाता है। इसलिए आदमी -औरत का जो भेद हमारे समाज में है वो भूतों की काल्पनिक कहानियों में भी मौजूद है। कालिदास से लेकर चेतन भगत के उपन्यासों को पढ़कर और आम जनों की भूतिया कहानियाँ सुनकर एक बात का पता लगता है कि आदमी की कल्पना में चाहे नायिका हो या भूतनी , बहुत -बहुत ही खूबसूरत होती है; उसके लिए साधारण नैन-नक्श वाली नायिका, यहाँ तक की भूतनी,की कल्पना करना संभव ही नहीं है क्योंकि - "Men Will Always Be Men"."
और इस तरह भूतों पर हमारा विमर्श चलता रहा। अब तक हमारा गंतव्य भी आ चुका था। 2 घंटे का सफर तय कर,हम सब सही -सलामत अपने घरौंदे पहुँच चुके थे। अब जेई साब लोगों से विदा लेने का समय आ गया था। तभी यूपी वाले जेई साब बोले- " सर, आप भूतों को नहीं मानते, तो फिर बिच्छु के ज़हर को उतारने वाले मन्त्र को भी नही मानते होंगे? गाँव में हम खुद मंत्र पढ़कर बिच्छू का जहर उतारते हैं।"
मैंने कहा-" साब, कुछ दिन पहले आपको कुत्ते ने काट लिया था। गुवाहाटी तक दौड़े थे हम लोग इंजेक्शन के लिए। तब आपने कोई मंत्र नहीं पढ़ा?"
वो बोले," सर, सांप-बिच्छू काट ले तो उसका ज़हर उतारने के लिए मंत्र शास्त्रों में लिखा है, पर कुत्ते का जहर निकालने के लिए कोई मंत्र शास्त्रों में नही लिखा।"
उनकी बात सुनकर हम सब हंस पड़े।सभी खुश दिख रहे थे। अपने घरौंदे में ही सुकून भरी नींद की चाह जो पूरी होने वाली थी।
