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Ajay kumar mahawar

Abstract

1.0  

Ajay kumar mahawar

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में रावण ही ठीक हूँ

में रावण ही ठीक हूँ

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बुरा हमें सिर्फ़  और सिर्फ़  हमारे हालात करते है..

जाने अनजाने में सही वो आज भी हमारी बात करते है..


और एक वक़्त पहले इस नाम से घिन्न थी उन्हें,

आज वो पागल बैठ के रावण नाम का जाप करते है..


कुछ के लिए बुरा, कुछ के लिए ताकत और कुछ के लिएक्षमता हूँ..

हाँ मैं वही रावण हूँ जो आज भी अपनी बहन की सुनता हूँ..


कि अपने झूठे स्वाभिमान का सम्मान लोग सतयुग से करतेआ रहे है..

जो खुद अपने हाथो से इज्जत उतारते है, वो आज खड़ेहोकर मेरे पुतले जला रहे है..


उन्हें बता दूँ कि पुतले जलाने से क्या होगा, हर तरफ राखऔर धुंआ होगा..

झांककर देख गिरेबान में अपने जरा, ये रावण तुझसे अच्छाकई गुना होगा..


ना मैं मरा था ना मैं हारा था, मुझे बस मेरे विश्वास और भरोसे ने मारा था..

कि हाँ किया गलत एक औरत की इज्जत के लिए दूसरी को उठा लाया था..


तो बता दूँ कि राम ने सीता को कुरान सा साफ़ और गीता  शफ़ाक़  ही वापस पाया था..

तो क्यों फिर सतयुग से कलयुग तक सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है..


कभी अपनों में कभी परायों में उसे खुद को साबित करना पड़ता है..

हाँ मैं वही रावण हूँ जिसे आयोध्या के राजा राम ने हरायाथा..


और जिसके लिए हराया था वो उसे अपने पास ना रख पायाथा..

हाँ मैं घमंडी, मैं पापी, मैं ताकत का प्रतीक हूँ..


और मैं वही रावण दशानन जिद्दी हूँ, और थोड़ा सा ढीठ हूँ..

कि सुन लो तुम सारी दुनिया वालो,


तुम राम बन जाओ, मैं रावण ही ठीक हूँ.


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