मैं रावण ही ठीक हूँ
मैं रावण ही ठीक हूँ
बुरा हमें सिर्फ और सिर्फ हमारे हालात करते हैं
जाने अनजाने में सही वो आज भी हमारी बात करते हैं।
और एक वक़्त पहले इस नाम से घिन्न थी उन्हें
आज वो पागल बैठ के रावण नाम का जाप करते हैं।
कुछ के लिए बुरा, कुछ के लिए ताकत और कुछ के लिए क्षमता हूँ
हाँ मैं वही रावण हूँ जो आज भी अपनी बहन की सुनता हूँ।
कि अपने झूठे स्वाभिमान का सम्मान लोग सतयुग से करतेआ रहे हैं
जो खुद अपने हाथो से इज्जत उतारते हैं, वो आज खड़े होकर मेरे पुतले जला रहे हैं।
उन्हें बता दूँ कि पुतले जलाने से क्या होगा, हर तरफ राख और धुंआ होगा
झांककर देख गिरेबान में अपने जरा, ये रावण तुझसे अच्छा कई गुना होगा।
ना मैं मरा था ना मैं हारा था, मुझे बस मेरे विश्वास और भरोसे ने मारा था
कि हाँ किया गलत एक औरत की इज्जत के लिए दूसरी को उठा लाया था।
तो बता दूँ कि राम ने सीता को कुरान सा साफ़ और गीता सा पाक ही वापस पाया था
तो क्यों फिर सतयुग से कलयुग तक सीता को अग्नि परीक्षासे गुजरना पड़ता है।
कभी अपनों में कभी परायों में उसे खुद को साबित करना पड़ता है
हाँ मैं वही रावण हूँ जिसे आयोध्या के राजा राम ने हराया था,
और जिसके लिए हराया था वो उसे अपने पास ना रख पाया था।
हाँ मैं घमंडी, मैं पापी, मैं ताकत का प्रतीक हूँ.
और मैं वही रावण दशानन जिद्दी हूँ, और थोड़ा सा ढीठ हूँ।
कि सुन लो तुम सारी दुनिया वालों,
तुम राम बन जाओ, मैं रावण ही ठीक हूँ।