ना मैं मरा था ना मैं हारा था, मुझे बस मेरे विश्वास और भरोसे ने मारा था.. ना मैं मरा था ना मैं हारा था, मुझे बस मेरे विश्वास और भरोसे ने मारा था..
करता है अपने मन की, सुनता ही नहीं किसी की, जब जब बात करता है, अपने ज़माने में ही खड़ा करता है अपने मन की, सुनता ही नहीं किसी की, जब जब बात करता है, अपने ज़मान...
हाँ एक सपना देखा था मैंने, कुछ नाम कमाने का, कुछ छाप छोड़के जाने का। हाँ एक सपना देखा था मैंने, कुछ नाम कमाने का, कुछ छाप छोड़के जाने का।