ज़िद्दी बड़ा है
ज़िद्दी बड़ा है
साठ के पार पता चला है,
ये बुढ़ापा ज़िद्दी बड़ा है।
करता है अपने मन की,
सुनता ही नहीं किसी की,
जब जब बात करता है,
अपने ज़माने में ही खड़ा है।
साठ के पार पता चला है,
ये बुढ़ापा ज़िद्दी बड़ा है।
लड़ाई है इसकी जवानी से,
अन्तर्द्वंद्ध है समय से,
जब जब आगे बढ़ता है,
अनुभव के दम पर खड़ा है।
साठ के पार पता चला है,
ये बुढ़ापा ज़िद्दी बड़ा है।
अकेलेपन का साथी है,
मुश्किलों में साथ निभाता है,
जब जब अंधेरा घेरता है,
जुगनू बन राह में जला है।
साठ के पार पता चला है,
ये बुढ़ापा ज़िद्दी बड़ा है।
नज़रें क्षीण हो गयी हैं,
जिव्हा उसके साथ नहीं है,
जब जब लड़खड़ाये तो,
कम्पन्न को थामने चला है।
साठ के पार पता चला है,
ये बुढ़ापा ज़िद्दी बड़ा है।