anuradha nazeer
Inspirational
दो अक्षर का होता है लक,
ढाई अक्षर का होता है भाग्य,
तीन अक्षर का होता है नसीब,
साढ़े तीन अक्षर की होती है किस्मत पर ये चारो के चारो,
चार अक्षर की ‘मेहनत’ से छोटे होते है।
कोई
इन चीजों को र...
ज़िन्दगी का क...
प्यार दो
मूल्यवान
जीत
अपने काम से प...
सफलता
प्यार प्यार प...
प्यार की प्या...
देवालय में बैठा बैठा मैं मन में करता ध्यान। शुभ दिन आया मैं करूँ दीप कौन सा दान। देवालय में बैठा बैठा मैं मन में करता ध्यान। शुभ दिन आया मैं करूँ दीप कौन सा द...
सफलता की एक ऐसी कहानी ये, जिसने बदला नज़रिया। सफलता की एक ऐसी कहानी ये, जिसने बदला नज़रिया।
मोक्ष तो सहज ही स्वयं को पाना, पाया बस वही जिसने यथार्थ को माना। मोक्ष तो सहज ही स्वयं को पाना, पाया बस वही जिसने यथार्थ को माना।
जीवन की दुर्गम राहों पर, राही तुझ को चलना होगा । जीवन की दुर्गम राहों पर, राही तुझ को चलना होगा ।
तुम्हें सीखना होगा लड़ना, दुष्ट और हैवानों से। तुम्हें सीखना होगा लड़ना, दुष्ट और हैवानों से।
इंद्रधनुष देखकर मेरे मन में सदा, एक ही ख्याल आता है! इंद्रधनुष देखकर मेरे मन में सदा, एक ही ख्याल आता है!
पुकार ले कोई जो पीछे से, तो रुक जाएं ये कदम. पुकार ले कोई जो पीछे से, तो रुक जाएं ये कदम.
शबनम की मधुर फुहार है बेटी, विधि का अनुपम उपहार है बेटी। शबनम की मधुर फुहार है बेटी, विधि का अनुपम उपहार है बेटी।
एक खींचता इस जीवन रथ को, तो दूजा हरदम राह दिखाता है. एक खींचता इस जीवन रथ को, तो दूजा हरदम राह दिखाता है.
तब उठा ले यदि कोई अनुचित कदम, हो जाता है तब उससे जु ड़ा हर जीवन बेरंग l तब उठा ले यदि कोई अनुचित कदम, हो जाता है तब उससे जु ड़ा हर जीवन बेरंग l
.चलो आज एक बात बताता हूं । ... तुम्हे जीने की राह दिखाता हूं ।। .चलो आज एक बात बताता हूं । ... तुम्हे जीने की राह दिखाता हूं ।।
चहूँ ओर घोर निराशा के बादल छाए, बता किस विध तुझे मैं मनाऊं माँ।। चहूँ ओर घोर निराशा के बादल छाए, बता किस विध तुझे मैं मनाऊं माँ।।
अहिल्याबाई का सुदृढ़ व्यक्तित्व, उनकी जीवन गाथा। अहिल्याबाई का सुदृढ़ व्यक्तित्व, उनकी जीवन गाथा।
बैर और नफरत की दीवार को, मिलकर मिटटी में मिलाते हैं चलो इस जनवरी, जन जन को जगाते हैं. बैर और नफरत की दीवार को, मिलकर मिटटी में मिलाते हैं चलो इस जनवरी, जन जन को...
तुम भी जागो... जागो, अपनी संस्कृति को अपनाओ तुम। तुम भी जागो... जागो, अपनी संस्कृति को अपनाओ तुम।
ये सूना पड़ा हुआ घर, घर का खाली पड़ा अहाता। ये सूना पड़ा हुआ घर, घर का खाली पड़ा अहाता।
क्यूं मैं माधवी की तरह न्याय, धर्म और संस्कृति के मकड़जाल में फंस कर रह जाती हूं, क्यूं मैं माधवी की तरह न्याय, धर्म और संस्कृति के मकड़जाल में फंस कर रह जाती हूं...
जल से जुड़ी, अनगिनत किस्से । पहला पन्ना, जल का उदय, सूर्य की मुस्कान, समुद्र का प्रिय। जल से जुड़ी, अनगिनत किस्से । पहला पन्ना, जल का उदय, सूर्य की मुस्कान, समुद...
तू न अपनी छाँव को अपने लिए कारा बनाना,जाग तुझको दूर है जाना। तू न अपनी छाँव को अपने लिए कारा बनाना,जाग तुझको दूर है जाना।
उसी दिन उसी समय से बन गई वह घर की समृद्धि की दारोमदार। उसी दिन उसी समय से बन गई वह घर की समृद्धि की दारोमदार।