STORYMIRROR

चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Inspirational

4  

चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Inspirational

मेहनत की रोटी

मेहनत की रोटी

1 min
507

मेहनत की रोटी खाने में, बड़ा सुकून मिलता है,

बड़ी मीठी लगती है, मेहनत की रोटी।


दिन भर पसीना बहाती हूं

किसी से छल– कपट नहीं करती हूं ,मैं तो सिर्फ मेहनत करती हूं।


अपनी भुजाओं पर, मुझे अभिमान है,

किसी के आगे हाथ फैलाना से अच्छा!

मैं मेहनत करके रोटी खाना पसंद करती हूं।


किसी कार्य को छोटा समझ कर, करने से मना नहीं करती हूं,

दो वक्त की रोटी के लिए, मैं पूरे लगन से मेहनत करती हूं ।


खुले आसमान में रहती हूं, चांद –तारों से बातें करती हूं,

सूर्योदय की लालिमा, मुझ में ऊर्जा भरता है,

मैं स्वाभिमान से जीने के लिए, घर से निकल पड़ती हूं ।


भूख की पीड़ा अमीर– गरीब की, एक जैसी होती है,

यहां पर मुझे सबकी अनुभूति ,एक समान दिखती हैं।


ना जग में कोई छोटा ना कोई बड़ा, सब एक समान 

शांति से दो वक्त की रोटी सबको खाने दो, और जीवन को जी लेने दो!


रोटी के लिए युद्ध न करो! प्रेम ,भाईचारा से

रोटी को मिलजुल बांटकर खाओ!

यकीन! मानो, एक टुकड़ा खाने से ही आत्म– संतुष्टि मिलेगी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational