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Udit Dobhal

Classics

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Udit Dobhal

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मैं

मैं

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रूआं रूआं सा बुझा बुझा सा

अनजाने रास्तों में खुआं खुआं सा मैं।

उलझा उलझा सा कसा कसा सा

रिश्तों के जाल में फंसा फंसा सा मैं।


डरा डरा सा छिपा छिपा सा

असमंजस के बवंडरों में घिरा घिरा सा मैं।

थका थका सा रुका रुका सा

नाकामी के बोझ से झुका झुका सा मैं।


लुटा लुटा सा छिना छिना सा

दौलत की इस दौड़ में पिछड़ा पिछड़ा सा मैं।

धुआं धुआं सा घना घना सा

घृणाओं की आग में जला जला सा मैं।


प्रहार प्रहार सा ज़ोरदार सा

संघर्षों के लिए बेकरार सा मैं।

निकट निकट सा विकट विकट सा

लक्ष्य को पाने में अडिग अडिग सा मैं।


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