मैं वापिस आऊंगी मां !!
मैं वापिस आऊंगी मां !!
क्या फ़ायदा हुआ, तुम्हारे मोम का ?
वह तो पूरी तरह, पिघल गई ना ?
और आसमानों में उड़ने से पहले ही ?
एक पंछी फ़िर ,साथ छोड़ गई ना ?
उसकी मां कि, आंखों में,
अब भी विश्वास के आंसू थे
कि मानो चिता पर, सोई बेटी ?
अब यह कह दे ?
कि मां थोड़ा और सो लेने दे
कामयाब तो, हो ही गई हूं, सपने में
बस अब हकीकत में, उसे जी लेने दे
देखो कैसे अंगारों पर सोई हूं मैं
जैसे दर्दो का नामो निशान नहीं
मां इतना दर्द सह चुकीं हूं मैं
मानो तकलीफों सा कोई पहचान नहीं
पापा से कहना मां ?
कि वापस, आऊंगी मैं ?
हकीकत में ना सही
मगर सपनों में, रोज़ आऊंगी मैं
वहां की बातें, सुनाऊंगी मैं।