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आस्था जैन 'अंतस'

Inspirational

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आस्था जैन 'अंतस'

Inspirational

मैं ताबूत तिरंगे में

मैं ताबूत तिरंगे में

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मैं शौर्य की गाथा कहता हूँ

जो अनुभव की है मैंने,

हाँ, मेरे देश के फौजी का

शवधार बना हूँ मैं।


गर्व की मुझमें गहरी सी आज

कुछ नई उमंगें हैं,

क्योंकि लिपटा हूँ आज

मैं ताबूत तिरंगे में।


मैं बना था जिस दिन,

था ये ठाना

लक्ष्य मेरे जीवन का,

मेरे शहीद का बना मैं साथी


अमरत्व पाया उसके मन का।

धन्य हुआ हूँ मैं भी आज

अपने शहीद के संग में,

हो गया देश के नाम

मैं ताबूत तिरंगे में।


ये शोक, गर्व ये सबका, मैंने देखा

देशप्रेम उन सबके मन में,

है देशभक्ति की ख़ुशबू फैली

अमर शहीद के तन से।


देखे मैंने उसके सब अपने

माँ, पिता, बहन, बीवी, बच्चे,

दोस्त, भाई सबके चेहरे

अश्रुपूरित रक्तरंगे थे।


देशभक्ति की क़ीमत जान

पूर्ण सज्ज था अब

मैं ताबूत तिरंगे में।


देख सलामी जाना मैने भी सत्य ये

मातृभूमि का प्रेम है जीता,

शौर्य, गर्व, पुरुषार्थ अमर है

मृत्यु से तो तन ही मरता।


भारत माता की गोद में सोया

उनका शहीद बच्चा बनकर,

उस स्नेह का भागी बना

मैं ताबूत तिरंगे में।


नम आँखों से लिए

गोद में बोलीं भारत माँ

हे वीर पुत्र तू लाल मेरा है,

मेरी रक्षा की ,सेवा की तूने

मैं धन्य हूँ तुझसा बच्चा पाके।


मेरे लिए अपने सीने पे

तू गोली खाके आया है,

सौ शीश काटके दुश्मन के

तू कर्ज चुका के आया है।


हर भारतवासी याद रखेगा

सीखेगा देशप्रेम तुझसे

था इस राष्ट्रभक्ति के

क्षण का साक्षी

मैं ताबूत तिरंगे में।


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