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Kanika Goyal

Abstract

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Kanika Goyal

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मैं शून्य हूँ

मैं शून्य हूँ

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मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना,

जीवन पतझर है उसे शादाब बनाये रखना 

मेरे अपनो का भी सम्मान बनाये रखना

मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना


नारी दुर्गा है उसे शिवा भी बनाये रखना

नारी जानकी है तो साहसनी भी बनाये रखना 

मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना


राजनीति छल है पर देश को रवीना बनाये रखना 

चाहे जला लो खुद को इसकी गरीमा बनाये रखना

मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना


चाहे तुम मकान महलों जितने बड़े बनाये रखना 

घर में कमरा कम सही इंसानी अरमान जगाए रखना 

मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना।


नन्ही परियों मैं जो दानिश का अभाव है

खुदा उन को अब दानिशमंद पैदा करना

मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना


वीर जो अपने दमखम से बलिदान देश पे होता है

विनती मेरी इतनी उनकोआयुष प्राप्त कराये रखना 

मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना


क्रिसमस हो होली हो ईद हो दीवाली हो

पर हर त्योहार पर प्रभु हर्ष बनाये रखना

मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना


कलश मन मेरा गागर सा भर देना

मुझे शिवा सी नारी तुम कर देना

रवीना सा चरित्र मुझमें गढ़ देना

दिल के सब पूरे अरमान कर देना

और दानिश मुझे प्रदान कर देना 

मेरी आयुष सफल करके उसमें हर्ष दे देना 

वन्दना सुनकर मेरी जिंदगी शादाब कर देना


मैं कनिका हूँ मुझे वज्र न समझ लेना

मैं शून्य हूँ मुझे पीछे ही रखना।


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