मैं रुकती नहीं
मैं रुकती नहीं
मैं वो नदी हूँ, जो कभी ठहरती नहीं,
मैं बहती हूँ खुद में हजारों दर्द लिये,
फिर भी मैं कहीं बिखरती नहीं।
मैं वो हवा हूँ जो सबकी सांसों में है,
पर कभी भी मैं रुकती नहीं,।
मैं वो नदी हूँ, जो कभी ठहरती नहीं,
मैं बहती हूँ खुद में हजारों दर्द लिये,
फिर भी मैं कहीं बिखरती नहीं।
मैं वो हवा हूँ जो सबकी सांसों में है,
पर कभी भी मैं रुकती नहीं,।