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Manju Saini

Inspirational

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Manju Saini

Inspirational

मैं कवियत्री हूँ

मैं कवियत्री हूँ

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जी हां मैं...

जी हाँ, मैं कवयित्री हूँ, 

शव्द लिखती हूँ, मर्म छूती हूँ,

कोई पाठक मिले,या न मिले, 

वो मैं सोचती नहीं हूँ, बस

बस लिख देती हूँ मन के उदगार, 

हिंसा नहीं फैलाती हूँ बल्कि

शांति चाहती हूँ अपन चारो ओर

अराजकता, वैमनस्यता लड़ाई से कोसों दूर, 

बस परस्पर सोहाद्र की बात लिखती हूँ, 

कोई आरोप भी नहीं लिखती हूँ बस

भूखे पेट सो जाती हूँ, पर लिख देती हूँ किसी भी

परिस्थिति में हूँ,क्योंकि कवियत्री हूँ, 

शव्द लिखती हूँ, मन के उद्गार पिरो देती हूँ

अपनी लेखनी से अपनी रचना में मैं,

जी हाँ, कवियत्री हूँ, शव्द लिखती हूँ।

गहरे मन के उदगार लिखती हूँ

समाज मे हो रही कुछ गलत बात पर

बस लिख देती हूँ, मन के उफनते हुए भाव

क्योकि मैं कवियत्री हूँ

क्योकि मंजु …..



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