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Swati Megha

Abstract

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Swati Megha

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मैं और तू

मैं और तू

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तू जादूगर है, दिन में तारे दिखा देती है, जन्नत की सैर करा देती है

मै भी जादू हूं, झूठ को सच दिखा देता हूं, आंखों को धोखा दे सकता हूं

मैं भी कमाल से कम नहीं, तू भी बेमिसाल से कम नहीं

ऐ ज़िन्दगी तू जो साथ चले तो एक और एक ग्यारह भी असंभव नहीं !


तेरा अंदाजे बयान बेबाक है, जीने का तरीका लाज़वाब है

मेरे सुनने कि शक्ति अस्याह है, जीवन से दोस्ती बेइंतेहा है

मेरा तरीका किसी से कम नहीं, तेरा सलीका किसी से कम नहीं

ऐ ज़िन्दगी तू जो साथ चले तो एक और एक ग्यारह भी असंभव नहीं !


अडिग जज्बे का नाम है तू, हिमालय सा स्वाभिमान है तू

धीरज की खान हूं मैं, गहराई की पहचान हूं मैं

मैं भी अभेद्य से कम नहीं, तू भी अजय से कम नही

ऐ ज़िन्दगी तू जो साथ चले तो एक और एक ग्यारह भी असंभव नहीं !


अनंत ब्रह्माण्ड में सौर्य प्रज्वला सा तेरा अस्तृतवा

नाभिकीय संलयन से निकली प्रचंड उस्मा सा मेरा रूप

मैं असीम से कम नहीं, तू अपरीमित से कम नहीं

ऐ ज़िन्दगी तू जो साथ चले तो एक और एक ग्यारह भी असंभव नहीं !


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