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Swati Megha

Abstract

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Swati Megha

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इश्क़ तो था!

इश्क़ तो था!

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तुमसे इश्क़ तो था पर कभी जताया नहीं

दीये में तेल तो था पर हमने कभी जलाया नहीं


चाँद की चाह में देर तक लेटा रहा

चाँद तो पूरा था फलक पर बस हमने बादल हटाया नहीं


की मानो हसरतें चरम को छू कर धारा पर आ गिरी हों

सिखर पर तो पहुंचा पर हमने कभी झंडा लहराया नहीं


की बातों हीं बातों में दर्द की सारी कहानी कह दी

लेकिन जब तुमने सब पूछा तो हमने कुछ बताया नहीं


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