मैं और तुम जैसे..!
मैं और तुम जैसे..!
मैं और तुम जैसे
धरती और आकाश..!
जैसे ..
नदी और उसकी लहरें..!
जैसे...
चांद और चकोर..!
जैसे..
पुष्प और सुगंध..!
मैं और तुम जैसे..
सुर और साज..!
जैसे हो
कविता में रस छंद अलंकार..!
जैसे..
संग हो जीवन के प्राण
क्षितिज पर पड़ता सप्तरंग प्रकाश..!
मैं और तुम जैसे
अंधेरे में फैल गया हो प्रकाश..!
बस ..
और क्या ..!!