मानव और मशीन
मानव और मशीन
मानव और मशीन का
सम्बन्ध भी अजीब है ।
आज मशीन ही मानव के,
सबसे अधिक करीब है।
सहयोग की सीमा से कहीं आगे
मानस पटल पर छा गई,
पूर्ण निर्भर हो गया और
पंगुता सी छा गई।
चाह थी पकडूं समय को
समय से ही दूर है,
सहजता और स्वास्थ्य पाने
को अरे मजबूर है।
प्राकृतिक संसाधनों पर
ये कुठाराघात है
हो उचित उपयोग इसका
इस समझ की बात है।
