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Sunita Shukla

Others

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Sunita Shukla

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एकता

एकता

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आओ ना आज 

हम और तुम

दोनों मिलकर

एक और एक

दो नहीं,

एक और एक

ग्यारह हो जाएं।

भर दें प्यार और मोहब्बत से

अपने अंतर्मन की 

रिक्तता को,

कभी मैं मस्जिद में

दीप रौशन कर आऊं

कभी तुम मंदिर को 

सजदा करो।

कभी मेरे घर ईद पर

सिवइयां महकें,

कभी तुम भी तो

गुझिया बनाओ

होली है कहके ।


  


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