माँ
माँ
खुशनुमा फूल बनकर दिल में रहती हो तुम
सुगंधित इत्र की भांति हमारे दिल को छूती हो तुम
थक कर भी कभी थकती नहीं हो तुम
रोज सुबह प्यार से झप्पी देती हो तुम
खाने में हमेशा हमारी पसंद बनाती हो तुम
पर जब लहरों से लड़ने की बारी आती है
तो बहारों जैसे बहती हो तुम
लहरों से लड़ती हो तुम
हमारे लिए इस दुनिया से भी भीड़ जाती हो तुम
और हमें प्यार से गले लगा कर
अपनी ममता से हमें प्यार दे जाती हो तुम
तुम्हें बुलाने का कभी दिल नहीं करता
क्योंकि हमारी मांँ कहलाती हो तुम ।।
कहलाती हो तुम ।।
कहलाते हो तुम।।