STORYMIRROR

Amulya Ratna Tripathi

Abstract

3.7  

Amulya Ratna Tripathi

Abstract

माँ

माँ

1 min
128


होता कुछ भी नहीं मैं,

अगर तू साथ ना होती,

गिर के संभल ना पाता, 

गर तू मेरे पास ना होती।


आसमान में सुराख़ कर देती,

ख्वाहिश जो मेरी ये भी होती,

खुशियों में मेरी तू,

अपने गम भुला ही देती,

मेरे कदमों की आहट को,

दूर से ही पहचान लेती।


लड़कपन की गलतियों को,

यूँ ही तू भुला ही देती,

नीदों में भी अपनी तू, 

मेरे सपने सजा के रखती।


होता कुछ भी नहीं मैं,

गर तू मेरी माँ ना होती।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract