माँ
माँ
कहाँ से लाती हो इतनी शक्ति
कहाँ से लाती हो इतना प्यार
और कहाँ से लाती हो इतना त्याग
रोज़ सवेरे पहले उठकर
और लेकर ईश्वर का नाम
बिना स्वार्थ के लग जाती हो,
तुम करने हम सबके काम।
चूूल्हा चौका, बरतन ,
घर में होते हजारों काम,
बन मशीन तुम चलती रहती ,
तुुम्हे नहीं कोई आराम।
मैंने ना दखा तुुम्हे करते
बीमारी का कोई बहाना,
जैसे हम बच्चे करते ,
चादर ओढ़कर जल्दी
से सो जाना।
हम सबके जीवन को
तुमने मान लिया है
जीवन अपना
हर संकट में बनती हो ,
तुम सबसे पहली उम्मीद
हर मुश्किल मेंं आती हो ,
सबसे पहले तुम ही याद।
माँ मुझको तुम लगती हो
ईश्वर की कोई फरीयाद।
